रात के अँधेरे में उल्लू को क्यों दिखाई देेता है जाने इसके पीछे के साइंस को

किसने कहा कि उल्लू को अंधेरे में दिखाई देता है। यह बिल्कुल गलत जानकारी है कि उल्लू को रात में दिखाई देता है। सही बात यह है कि अगर वास्तव में कही से कोई किरण नहीं आ रही है तो उल्लू को भी नहीं दिखाई देगा।

चलिए कुछ बातों पर बात करते हैं, कभी आप ने सूर्य की तरफ काफी देर तक देखने की कोसिस की है, अगर किया होगा तो देखा होगा कि आंखे चौधियाँ जाती है। ऐसा इस लिए होता है कि आप के आंख में जरूरत से ज्यादा प्रकाश जाने लगता है और आप का दिमाग आप के आंख को बंद करने का आदेश दे देता हैं।

इस तरह की अनुभूति आप अचानक छाँव से घूप में जाने पर करते है क्योंकि आप की आंख काम प्रकाश होने पर आंख को पुतलियों को ज्यादा बड़ी कर लेता ताकि ज्यादा से ज्यादा प्रकाश अंदर जा सके । और अचानक धूप में जाने से बहुत ज्यादा प्रकाश चला जाता है और आंखे चौधियाँ जाने लगे जाती है।

उल्लू की आंख में भी कुछ ऐसा ही होता है उसकी आँखों की पुतलियां बहुत बड़ी बड़ी होती है ताकि कम से कम प्रकाश होने पर भी ज्यादा प्रकाश आंख में जा सके और कम प्रकाश में भी वह देख सके। प्रकाश बिल्कुल भी ना होने पर उल्लू को भी दिखाई नही देता। और दिन के समय मे उसकी आंखें चौधियाँने लगती है।

उल्लू अपने सिर को उल्टा कैसे कर लेता है?

उल्लू अपनी लचीली गर्दन के लिए मशहूर है. अब वैज्ञानिकों ने इसके कारण का भी पता लगा लिया है. उल्लू किसी भी दिशा में अपनी गर्दन को लगभग 360 डिग्री (270 डिग्री तक) घुमा सकता है. लेकिन खास बात यह है कि ऐसा करने में उसकी गर्दन के रास्ते मस्तिष्क तक जाने वाली एक भी रक्त वाहिका को कोई नुकसान नहीं पहुंचता.

ल्लू की शारीरिक संरचना के अध्ययन के लिए दर्जनों उल्लुओं के एक्स-रे और सीटी स्कैन्स किए गए. वरिष्ठ अनुसंधानकर्ता फिलिप्पे गैलौड ने कहा कि उल्लुओं का गर्दन घुमाना हमेशा से एक रहस्य रहा लेकिन अब यह सुलझ गया है. इस अध्ययन के लिए उल्लू की नसों में रंगीन तरल प्रवाहित कर कृत्रिम रक्त प्रवाह बढ़ाया गया. उल्लू के जबड़े की हड्डी से ठीक नीचे सिर के आधार में स्थित रक्त वाहिकाएं रंगीन तरल के पहुंचने के साथ-साथ लंबी होती गई. यह प्रक्रिया तब तक चली जब तक कि यह रंगीन तरल रक्त भंडार में जमा नहीं हो गया.

उल्लू में पाया जाने वाला यह गुण बिल्कुल अनोखा है जबकि मनुष्य में ऐसा नहीं होता है. हालांकि रेड टेल्ड हॉक्स में भी यह गुड़ पाया जाता है. मनुष्य में ठीक इसके विपरीत क्रिया होती है. मनुष्य में गर्दन घुमाने से ये वाहिकाएं छोटी होती जाती हैं.

शाम के समय वी की आकृति में उड़ते प्रवासी पक्षी कितने सुंदर लगते हैं? वह इस आकृति में क्यों उड़ते हैं?

लंबी उड़ान के लिए पक्षी V के आकार में उड़ान भरते हैं। अक्सर हंस, सारस, बगुले तथा झुंड में उड़ने वाले अन्य प्रवासी पक्षियों में यह प्रवृत्ति नैसर्गिक तौर पर देखी जाती है।

ऐसा यूँ ही नहीं, बल्कि इसके पीछे कारण होता है। इन चिड़ियों ने अपने लंबे अनुभव से सीखा है कि V आकार में उड़ने के फायदे है। इसमें केवल आगे के पक्षी को हवा का नैसर्गिक दवाब झेलना पड़ता है। यह एयर प्रेशर दोनो ओर की पंक्तियों में क्रमशः कम होता जाता है। अतः थके, अस्वस्थ, भूखे या बच्चे आसानी से झुंड के साथ उड़ लेते हैं।

इतना ही नहीं, बल्कि ये पंक्षी उड़ने के दौरान लागातार बोलते भी रहते हैं। ऐसा वे अपने साथियों को उत्साहित करने के लिए करते हैं। ठीक वैसे ही जैसा हम लोग भारी वस्तु को ग्रुप में उठाकर “जोर लगाकर – हाईस्सा” बोलते चलते है।

कम लोग जानते हैं कि ये पक्षी लाइन मे अपना स्थान बदलते भी रहते हैं। पीछे की सुस्ता चुकी चिड़िया कुछ समय बाद लीडर से स्थान बदलकर उसे आराम देती रहती हैं। उड़ान के दौरान यदि कोई पक्षी थक कर गिर जाता है, तो पंक्ति में पीछे के दो पंक्षी भी स्वतः अपने को उसके साथ नीचे गिरा लेते हैं, जिससे उसकी देखभाल की जा सके। कुछ समय बाद उड़कर ये तीनों भी अपने साथियों से जा मिलते हैं। कभी तीन पक्षी इस तरह V बनाकर उड़ते दिखें तो इसका यही आसय समझना चाहिये।

 

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